कोई ऐसी बात जो बताई न हो
किसी से,
बता कर तुझे कहता है दिल ये
हिफाज़त से रखना इसे
यहां वहां नुमाइश में ना दिखे,
तो फिर ना बताना ही अच्छा था
गर यही था रिश्ता
तो कच्चा था,
अगर मालूम होता ज़रा भी
आकर आगे इतने
होते हैं हालात हावी
तो रोक पाते क्या खुद को?
तुम क्या समझाते
और कैसे समझाते दिल-ए-बेसुध को?
जो हो गया वो
कोई खुदा ना पलट पाए,
उसे हम बंदों से उम्मीद है
कि जिये जाएँ,
जिये जाएँ,
जिये जाएँ।
किसी से,
बता कर तुझे कहता है दिल ये
हिफाज़त से रखना इसे
यहां वहां नुमाइश में ना दिखे,
तो फिर ना बताना ही अच्छा था
गर यही था रिश्ता
तो कच्चा था,
अगर मालूम होता ज़रा भी
आकर आगे इतने
होते हैं हालात हावी
तो रोक पाते क्या खुद को?
तुम क्या समझाते
और कैसे समझाते दिल-ए-बेसुध को?
जो हो गया वो
कोई खुदा ना पलट पाए,
उसे हम बंदों से उम्मीद है
कि जिये जाएँ,
जिये जाएँ,
जिये जाएँ।