सौ कोशिशें लगती हैं मुझे उससे दूर जाने में,
और एक ही कोशिश में वो मुझे थाम लेती है।
जिस दिन लगता है कि उसे मेरी सूरत नहीं याद,
जाने क्यों उस दिन वो मेरा नाम लेती है।
दैत्य झुँझलाहट की कोई ख़ास वजह नहीं सुना सकूँ इतना ख़ास हादसा भी नहीं , नुचवा लिए अब ख़्वाबों के पंख नहीं यहाँ तक कि...
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