Monday, 5 September 2022

नहीं आता कोई पीछे

 नहीं आता कोई पीछे,

ना साथ ही होगा,

हाँ। बियाबान में भटका,

हर एक आदमी होगा।


बहुत किस्से सुने ,बहुत तेज़ जुबां में,

शहर हामी भरता है, तो सही होगा।


कभी अपनी खुशी से खौफजदा ,

कभी अपने गम पे तसल्ली,

फिर ।

फिर ऐसा रोज़ ही होगा।




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