तुमसे कोई शुबह नहीं ,मैं कौन हूँ तलाश लूँ ,
उस तलक मैं सोच लूँ, ख़ामोश रह के सांस लूं.....!
जन्नत के सौदे में होगी कीमत भले ही रूह की,
वहम में जी लूँ या कोई फिर बदन तराश लूं ....!
या रोज़ोशब ख्याल जिस प्यास के हैं कौंधते ,
नाम उसका लेके अब हाथ में शराब लूं.......!
बहुत फिकर जहान की, जहान के मक़ाम की ,
बाजार जा के इस दफा कोई नई किताब लूं .....!
लम्हे की ज़िन्दगी जिया ,मेरा कहा मेरा किया,
कितनी बातों पे अब वक्त से इंसाफ़ लूँ.......!
पहचानने लगे हैं लोग चारस है शख्स कोई ,
कहने से पहले गौर करूँ ,या और एक नक़ाब लूँ ......!
तुमसे कोई शुबह नहीं ,मैं कौन हूँ तलाश लूँ ,
उस तलक मैं सोच लूँ, ख़ामोश रह के सांस लूं.....!
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