Monday, 20 March 2017

मैं नहीं ऐसा (Main Nahi Aisa)

मैं नहीं ऐसा कि आनाकानी करूँ,
या फिर ज़ुबान से अपनी फिरूँ....!

दुनिया को बाद में दूंगा सलाह,
अपने घर की पहले दरार भरूँ....!

लोगों का छाती पीटना देख,
चाहता हूँ एक रोज़ के लिए मरुँ....!

बेशक लाओ मुहब्बत का तोहफा,
गनीमत है ना डरूँ.......!

उसके क़दमों पर ही फबते दोनों,
एक से हैं मैं और घुँघरू .........!

No comments:

Post a Comment

दैत्य

  दैत्य   झुँझलाहट की कोई ख़ास वजह नहीं सुना सकूँ इतना ख़ास हादसा भी नहीं , नुचवा लिए अब ख़्वाबों के पंख नहीं यहाँ तक कि...