अनाम सोच की गोद पर सिर रखने से ,
अमूमन धुँधला ही सही ,याद आता है वो।
जहाँ सर्द रातों की ठंडक नहीं पहुँच पाती ,
शक्ल में धड़कन की सीना थपथपाता है वो।
मलाल उसको नहीं अपनी ज़िन्दगी से कुछ ,
मैं सच कहता हूँ ,झूठ बोल जाता है वो।
आप देखिये नाम मेरा लेकर एक दफा ,
और देखिये चेहरे क्या क्या बनाता है वो।
हमेशा की आगाज़ की बातें लोगों के बीच ,
इतनी शिद्दत से अंजाम छुपाता है वो।
साहिलों के बूते नहीं इलाज लहरों का अब ,
उसका नाम 'चारस' ,किनारों से घबराता है वो।
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