Monday, 27 April 2015

वास्ता-ए -ग़ज़ल

क़बूल करके चल पड़े , निभाएगा कौन?
आंच इश्क़ की जल पड़े , बुझाएगा कौन?

सुरमई सी धुन ,नाज़ुक सा वो गीत जिससे
नींदों में न खलल पड़े ,गाएगा कौन?

एक मर्ज़ ,जिसकी एक दवा ,सैंकड़ों सलाहें ,
जिनका असर असल पड़े , बताएगा कौन?

बच्चों की तरह सहमूं दुनिया के शोर से,
माथे पे मेरे बल पड़े , बहलाएेगा कौन?

ताकि आँखों से शायरी और होंठों से
वास्ता -ए - ग़ज़ल पड़े , शरमाएगा कौन?

वो रात करवा-चौथ की,भूख से निढ़ाल ,
चाँद जल्दी निकल पड़े , बड़बड़ाएगा कौन?

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