रात के पहलू में कोई बात होगी ,
या फिर आज वही स्याह रात होगी।
जुदा -जुदा महसूस करती कहीं,
एक गुमसुम सी मुलाकात होगी।
उफ़नता सैलाब है शक़्ल की गहराई में,
एक रोज़ क़यामत की बरसात होगी।
जो तुझे जीत के मुहाने छोड़ आए,
कितनी खूबसूरत मेरी वो मात होगी।
ज़िन्दगी ने कभी सुलूक वाजिब ना किया,
मौत भी एक दिन बदसुलूकी में साथ होगी।
खोना पाने का अंजाम है चारस
अपनी तरफ भी कभी क़ायनात होगी।
रूह को सुकून पहुंचाने का काम करे,
शायद ही किसी के पास वो बात होगी।
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