Monday, 27 April 2015

वास्ता-ए -ग़ज़ल

क़बूल करके चल पड़े , निभाएगा कौन?
आंच इश्क़ की जल पड़े , बुझाएगा कौन?

सुरमई सी धुन ,नाज़ुक सा वो गीत जिससे
नींदों में न खलल पड़े ,गाएगा कौन?

एक मर्ज़ ,जिसकी एक दवा ,सैंकड़ों सलाहें ,
जिनका असर असल पड़े , बताएगा कौन?

बच्चों की तरह सहमूं दुनिया के शोर से,
माथे पे मेरे बल पड़े , बहलाएेगा कौन?

ताकि आँखों से शायरी और होंठों से
वास्ता -ए - ग़ज़ल पड़े , शरमाएगा कौन?

वो रात करवा-चौथ की,भूख से निढ़ाल ,
चाँद जल्दी निकल पड़े , बड़बड़ाएगा कौन?

Saturday, 18 April 2015

पहलू

रात के पहलू  में कोई  बात होगी ,
या फिर आज वही स्याह रात होगी। 

जुदा -जुदा  महसूस करती कहीं,
एक गुमसुम सी मुलाकात होगी।

उफ़नता सैलाब है शक़्ल की गहराई में,
एक रोज़ क़यामत की बरसात होगी।

जो तुझे जीत के मुहाने छोड़ आए,
कितनी खूबसूरत मेरी वो मात होगी।

ज़िन्दगी ने कभी सुलूक वाजिब ना किया,
मौत भी एक दिन बदसुलूकी में साथ होगी। 

खोना पाने का अंजाम है चारस 
अपनी तरफ भी कभी क़ायनात होगी।

रूह को सुकून पहुंचाने का काम करे,
शायद ही किसी के पास वो बात होगी।

दैत्य

  दैत्य   झुँझलाहट की कोई ख़ास वजह नहीं सुना सकूँ इतना ख़ास हादसा भी नहीं , नुचवा लिए अब ख़्वाबों के पंख नहीं यहाँ तक कि...