Monday, 25 May 2020

रिक्त

यह उजाड़ खाली जगह देखी तुमने?
यहाँ एक बूँद को कहते सुना था मैंने
कि कितनी दुर्बल है वो,
यह रिक्त,
यहाँ एक समुद्र हो सकता था।

Sunday, 10 May 2020

ख्याल

बीच के पन्नों में कालिख पोतकर
खूबसूरत सी ज़िल्द चढ़ा दी है।
कुछ कद्दावर ख्याल जो कभी
मेरे हुआ करते थे,
नाज़ था जिनपे मुझे,
इसी कालिख के नीचे दफ़न हैं!
मैं इन ख्यालों जितना ना पहुँच पाया,
बस उम्र में बड़ा हो गया।

दैत्य

  दैत्य   झुँझलाहट की कोई ख़ास वजह नहीं सुना सकूँ इतना ख़ास हादसा भी नहीं , नुचवा लिए अब ख़्वाबों के पंख नहीं यहाँ तक कि...