शहर की दास्ताँ को कलमबद्ध करते हैं,
ये शहरवाले भी हद करते हैं.....!
बच्चों को सयानेपन की हिदायत देकर,
खुद बच्चों सी हरकत करते हैं.....!
जिसे गुनगुना कर मुस्कुराया जा सके,
चल ऐसे गीत की आमद करते हैं....!
इन मेहमानों को गले से लगाते हैं,
इन ग़मों की खुशामद करते हैं.....!
जवाँ दिल की आरज़ू है चाँद,
इस उम्र में लोग अक्सर ऐसी ज़िद करते हैं....!
हक़ीक़त में तो बड़े बदसूरत हैं ये "चारस",
इन ज़ख्मों पर खूबसूरत सी ज़िल्द करते हैं....!