Monday, 20 March 2017
Thursday, 2 March 2017
जो हासिल हुआ था हमसफ़र (Jo hasil hua tha Humsafar )
वो खो गया इसी शहर की शक्ल में ....!!
कांच के ख्वाब टूटे तो हुआ मालूम ,
हर बार खुदा नहीं होता पत्थर की शक्ल में...!
ऐसा नहीं कि घर ना सजे तेरी गैरमौजूदगी में,
पर कुछ कमी सी रहती है इस घर की शक्ल में....!
तू ही जान तेरे सीने की गहराई में छुपा था क्या ,
मुझे मुहब्बत लगता था ऊपर ऊपर की शक्ल में....!
जीते रहने की दुआ देने से पहले याद रहे 'चारस' ,
मरना उन्हें भी पड़ा जो आये पैगम्बर की शक्ल में...!
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दैत्य
दैत्य झुँझलाहट की कोई ख़ास वजह नहीं सुना सकूँ इतना ख़ास हादसा भी नहीं , नुचवा लिए अब ख़्वाबों के पंख नहीं यहाँ तक कि...
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Bhaai ki laash samne padi hai. Bilkul khamosh. Khoon se sani hui. Behan ka ro ro kar bura haal hai. Maa ko vishwas nahi aa raha ki b...
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जो हासिल हुआ था हमसफ़र की शक्ल में , वो खो गया इसी शहर की शक्ल में ....!! कांच के ख्वाब टूटे तो हुआ मालूम , हर बार खुदा नहीं हो...