Monday, 18 March 2024

दैत्य

 दैत्य 



झुँझलाहट की कोई ख़ास वजह नहीं

सुना सकूँ इतना ख़ास हादसा भी नहीं ,

नुचवा लिए अब ख़्वाबों के पंख नहीं

यहाँ तक कि मामूली पतंग भी नहीं ,

एक चींटी किधर भटकी 

चढ़ती सीढ़ी मौत की 

कहीं रह गई 

या पहुँची ,

परवाह किसे 

कि आये पूछ उसे ,

साबुत निगल गया 

समाज उसे,

ये दैत्य जो अमर है

पूज उसे।

दैत्य

  दैत्य   झुँझलाहट की कोई ख़ास वजह नहीं सुना सकूँ इतना ख़ास हादसा भी नहीं , नुचवा लिए अब ख़्वाबों के पंख नहीं यहाँ तक कि...